Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में मौजूदा हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पर कोई भी सैन्य कार्रवाई माहौल को और भी खराब कर सकती हैं। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने बुधवार को ही चेतावनी दी। उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा कि यह बहुत जरूरी है कि श्रीलंका में राजनीतिक अराजकता से बचा जाए और सभी हितधारको को राजनीतिक स्थिरता बहाल करने के लिए एकजुट काम करना होगा।
अशोक के कंठ का बयान
राजपक्षे ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया। और कुछ ही देर बाद विक्रमसिंघे ने सेना और पुलिस को आदेश देते हुए कहा कि देश में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए जो भी करने की जरूरत पड़े वो करो। श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्य करने वाले अशोक के कंठ ने बयान देते हुए कहा कि श्रीलंका में इस समय स्थिति बहुत ही खराब है। यह बहुत जरूरी है कि राजनीतिक अराजकता उसे बचा जाए, पर साथ ही सेना और पुलिस कि कोई भी दखल स्थिति को और भी खराब कर सकती है।
मौजूदा स्थिति बहुत कठिन है
साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति बहुत ही कठिन है। कंठ ने बयान देते हुए कहा कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे श्रीलंका के भीतर होना बहुत जरूरी है और भारत सहित दूसरे देशों के लिए इसमें बहुत कम भूमिका है।
सुनिश्चित कदम उठाने होंगे
अशोक के कंठ ने कहा कि राजनीतिक स्थिति को स्थिर करने के लिए सुनिश्चित कदम उठाने चाहिए। जितना जल्दी हो सके स्थिति को स्थिर करना चाहिए क्योंकि राजनीतिक स्थिरता के बिना श्रीलंका की सरकार के लिए अभूतपूर्व आर्थिक चुनौतियों का सामना करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
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अनिल वाधवा ने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रित है
विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव अनिल वाधवा ने जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल श्रीलंका की स्थिति अब नियंत्रण में है। उन्होंने बयान दिया कि ‘यह हमारे लिए फायदा होगा अगर भारत में कोई शरणार्थी प्रवाह न हो क्योंकि इससे दूसरे किस्म का संकट भी पैदा हो सकता है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से श्रीलंका के लिए तत्काल राहत पैकेज दिए जाने की जरूरत है।
नई सरकार
कहा कि जितनी जल्दी नई सरकार आएगी उतनी जल्दी श्रीलंका की स्थिति बेहतर होगी। क्योंकि नई सरकार मौजूदा मुद्दे का समाधान कर सकती है।
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