First Sawan Somwar Vrat: सावन का महीना शुरु हो गया है। शिव के भक्तों का इंतजार हुआ खत्म। इस पवित्र महीने में सभी लोग रुद्राभिषेक करते हैं और हफ्ते के हर पहले सोमवार को व्रत रखते हैं। हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत पवित्र महीना माना जाता है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम महीना
हिंदू धर्म में सावन मास के महीने को सबसे ज्यादा पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। सावन के महीने से संसार को चलाने वाले भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रालीन हो जाते हैं। जिसके बाद भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड का संचालन संभालते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है। यह महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम महीना होता है। जिस पर सावन महीने के सोमवार को और भी ज्यादा महत्व दिया गया है।
18 जुलाई को पहला Sawan Somwar
14 जुलाई 2022 से सावन का पवित्र महीना शुरू होगा और 12 अगस्त 2022 तक चलेगा। पहला सावन सोमवार 18 जुलाई को पड़ रहा है, दूसरा सावन सोमवार 25 को, तीसरा सावन सोमवार 1 अगस्त को, चौथा सावन सोमवार 8 अगस्त को, वहीं 5 वर्ष सावन सोमवार व्रत 12 अगस्त को पड़ रहा है। हिंदू धर्म के अनुसार सावन के महीने में पांचों सोमवार को व्रत रखा जाता है।
Sawan Somwar Vrat विधि
सावन के पवित्र महीने में आपको सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनने हैं। जिसके बाद आपको दाएं हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लेना है। फिर आपको भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करना है। गंगाजल से अभिषेक करने के बाद आपको शिवजी को पंचामृत l अर्पित करने होंगे।
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पंचामृत पांच चीजों से बनता है
पंचामृत पांच चीजों से बनता है जैसे कि दही, दूध, अमृत, शहद, घी। फिर आपको विधि अनुसार, शिव जी को सफेद चंदन, सफेद फूल, धतूरा,बेल, बेल पत्र, सुपारी, अक्षत आदि अर्पित करनी होगी। इस दौरान आपको ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना होगा। भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। हो सके तो जनेऊ और वस्त्र भी अर्पित करें। जिसके बाद सावन सोमवार व्रत की कथा पढ़ें। आखिर में आपको आरती करनी होगी और उसके बाद प्रसाद लोगों में बांटना होगा।
Sawan Somwar Vrat में क्या खाएं
आमतौर पर इस व्रत में पूरे दिन फलाहार का सेवन करा जाता है और जिसे अच्छा भी माना जाता है। पर साथ ही कुछ लोग एक समय का भोजन करके भी यह व्रत रखते हैं।
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