Supreme Court Sex Workers Rule : सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्करों (Supreme Court Sex Workers Rule) को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति एक पेशा है और सभी यौनकर्मी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को यौनकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है।
Supreme Court ने सेक्स वर्करों को दी राहत
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि सेक्स वर्करों के काम में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर को एक पेशा माना है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सहमति से यौन कार्य करना अवैध नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे भारत में नौ लाख से अधिक महिलाओं और ट्रांसजेंडर और सेक्स वर्करों (Supreme Court Sex Workers Rule) के लिए राहत के उपाय किए हैं।
पुलिस सेक्स वर्करों को लेकर नहीं करेगी कोई कार्रवाई
कोर्ट ने कहा कि उम्र और सहमति के आधार पर आपराधिक कानून लागू किया जाना चाहिए। यदि कोई सेक्स वर्कर (Sex Workers) किसी आपराधिक यौन या किसी अन्य प्रकार के अपराध की शिकायत दर्ज करती है तो पुलिस को कार्रवाई करने और कानून का पालन करने का निर्देश दिया गया है। बेंच ने कहा कि जब भी किसी वेश्यालय में कोई छापा पड़ता है तो स्वैच्छिक यौनकर्मियों पर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए या परेशान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भारत में वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है लेकिन वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।
अनुच्छेद 21 के तहत सभी को सम्मानपूर्वक जीने का है अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी नागरिक को अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि जब भी पुलिस छापेमारी करे तो सेक्स वर्कर को परेशान न करें। क्योंकि वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। अपनी मर्जी से व्यस्क का सेक्स करना कोई अपराध नहीं है।
किसी भी सेक्स वर्करों को अपने बच्चों से अलग नहीं किया जाएगा
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि किसी भी बच्चे या सेक्स वर्कर को केवल इसलिए उसकी मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उसकी माँ वैश्या है। यदि कोई यौनकर्मी यौन उत्पीड़न का शिकार है तो उसे भारत में उपलब्ध सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को जागरूकता अभियान चलाने और यौनकर्मियों को उनके अधिकारों, उनके पेशे की वैधता, पुलिस के दायित्वों और कानून के तहत निषिद्ध और अनुमति के बारे में शिक्षित करने का निर्देश दिया है।