Swami Vivekanand Jayanti: स्वामी विवेकानंद के विचार भारत के प्रमुख विचारकों में से एक थे जिन्होंने रहस्यवादी और योगी रामकृष्ण परमहंस की सलाह के तहत प्राचीन हिंदू ग्रंथों के माध्यम से भारतीय दर्शन को फिर से खोजा।
Swami Vivekanand jayanti
स्वामी विवेकानंद 18 वीं शताब्दी के एक आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक और समाज सुधारवादी थे। उनका जन्म वर्तमान कोलकाता में 12 जनवरी, 1863 को एक कुलीन बंगाली परिवार में हुआ था। इस साल उनकी (Swami Vivekanand jayanti) 159वीं जयंती है। वह एक विपुल विचारक महान वक्ता और एक भावुक देशभक्त थे।
Swami Vivekanand ने बहुत से युवा भारतीयों को प्रेरित किया
उनकी शिक्षाओं ने बहुत सारे युवा भारतीयों को प्रेरित किया और 19 वीं शताब्दी में एक आध्यात्मिक जागृति लाई, इसलिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वह भारत के अग्रणी विचारकों में से एक थे जिन्होंने रहस्यवादी और योगी रामकृष्ण परमहंस की सलाह के तहत प्राचीन हिंदू ग्रंथों के माध्यम से भारतीय दर्शन को फिर से खोजा और इसे मुख्यधारा के भारतीय विचारों में लाए। स्वामी विवेकानंद ने 1893 में विश्व धर्म संसद में भारत और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।
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स्वामी का जवाब सुनकर जब व्यक्ति हैरान हो गया
स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्ति थे जो तापसी का जीवन जीते थे और दुनिया भर की यात्रा करते थे, साथ ही तरह तरह के लोगों से मिला करते थे। एक बार जब स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा में गए थे तब लोगों का ध्यान उनके कपड़ों ने खींचा। इतना ही नहीं वहां के एक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद की पगड़ी तक खींच रही थी।
जिसके बाद स्वामी विवेकानंद ने उनसे अंग्रेजी में पूछा कि तुमने मेरी पगड़ी क्यों खींचा? स्वामी की अंग्रेजी सुनकर वह व्यक्ति चौक गया था जिसके बाद उसने पूछा कि क्या आपको अंग्रेजी बोलना आता है और क्या आप शिक्षित हैं? स्वामी जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि हां मैं पढ़ा लिखा व्यक्ति हूं, सज्जन व्यक्ति हूं। जिस पर विदेशी व्यक्ति ने कहा कि आप के पहनावे से तो नहीं लगता कि आप एक सज्जन व्यक्ति हैं। जिसके बाद स्वामी विवेकानंद ने उस व्यक्ति को करारा जवाब देते हुए कहा कि आपके यहां आपके दर्जी आपको सज्जन मनाते हैं जबकि मेरे देश में मेरा किरदार मुझे सज्जन व्यक्ति बनाता है।