Yogi Adityanath Journey: मंदिर के महंत से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री तक

Yogi Adityanath Journey: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैसे एक गोरक्षपीठ के मठाधीश से देश के सबसे बड़े आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री बने? अगर देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Journey) को यूपी का मुख्यमंत्री बनाना भाजपा की कार्यनीति और राजनीति पहलू का एक हिस्सा रहा था। बिहार के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद भाजपा ने सियासत का अपना तरीका काफी बदल दिया है।

खबरों की माने तो भाजपा की नजर अब से दलित -महादलित, पिछड़े और अति पिछड़े वोटों को जातीय नजरिए से देखने की जगह उन्हें व्यापक हिंदूकरण के खॉचे में लाकर अपनी सियासत को हथियार बनाने की कोशिश है। यह कोशिश भाजपा ने यूपी के विधान चुनाव में शुरू भी कर दी। असल में भाजपा ने यूपी के दलित और पिछड़ी जाति के नेताओं को चुनाव से पहले जनता की नजर में लाने की कोशिश करी है। इन नेताओं का इस्तेमाल भाजपा व्यापक हिंदू करण के सियासी अभियान में किया है। जिसके बाद साफ देखा गया कि किस तरह यूपी के चुनाव में काफी हद तक पोलरइजेशन हुआ और नतीजे भाजपा के पक्ष में आए।

Yogi Adityanath Journey: भाजपा की तरफ से उतरे योगी आदित्यनाथ

व्यापक हिंदूकरण की कार्यनीति रणनीति को कारगर बनाने के लिए भाजपा पार्टी को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जिसके बूते इस काम को अंजाम तक पहुंचा सके। ऐसे में भाजपा के लिए गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Journey) सबसे सही विकल्प थे। बता दें कि योगी आदित्यनाथ उस गोरक्षपीठ से ताल्लुक रखते हैं जिसके प्रति पूर्वांचल के लोगों की गहरी आस्था रही है। और यही वजह है कि साल 1989 से निर्बाध गोरखपुर की संसदीय सीट गोरक्षपीठ के पास ही है।

भाजपा पार्टी के नेतृत्व में योगी आदित्यनाथ का नाम बतौर मुख्यमंत्री पहले घोषित नहीं किया गया था। क्योंकि अगर पहले ही योगी का नाम घोषित हो जाता तो पार्टी में से कुछ नेताओं को असंतोष का नतीजों का बुरा असर पड़ता सकता था। यूपी के चुनाव में भाजपा पार्टी वोटों के ध्रुवीकरण पर खास ध्यान दे रही है।

Yogi Adityanath Journey: चुनाव में योगी आदित्यनाथ का अच्छा प्रदर्शन

बता दें कि जब चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होने के शुरुआती दिनों में योगी आदित्यनाथ का नाम स्टार प्रचारकों में शामिल नहीं था तो इसे लेकर काफी चर्चा हो रही थी। लेकिन जैसे ही चुनावी समय शुरू हुआ भाजपा पार्टी ने योगी आदित्यनाथ की हिन्दुवादी नेता की छवि को उभारने के लिए उनके ताबड़तोड़ कार्यक्रम तय कर दिए हैं। बता दें कि योगी के भाषणों में पश्चिम के उन इलाकों में जहां हिंदू मुस्लिम समाज में तल्खी का माहौल बना हुआ था वहां उन्होंने खाद का काम किया है। योगी आदित्यनाथ ने चुनावी दौर में जातियों को व्यापक हिंदूकरण के खांचे में फिट करने में कड़ी मेहनत की थी। जिसके बाद चुनाव परिणाम आने के बाद योगी आदित्यानाथ का नाम सीएम पद की रेस में आखरी पायदान तक था।

Yogi Adityanath Journey: योगी आदित्यनाथ का जन्म

बता दें योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून साल 1972 में उत्तराखंड के गढ़वाल हुआ था। योगी आदित्यनाथ राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा एच.एन.बी गढ़वाल विश्वविद्यालय विज्ञान से की थी। योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवाओं को साथ लाकर एक हिंदू युवा वाहिनी का निर्माण किया था। बता दें कि ये संगठन हमेशा विवादों में घिरा रहता है। साल 2005 में पुलिस ने इस संगठन पर मउ में हुए दंगों का आरोप लगाया था। जिसके बाद साल 2007 में भी हिंदू युवा वाहिनी पर गोरखपुर दंगों का आरोप लगाया गया था।

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Yogi Adityanath Journey: योगी का राजनीतिक करियर

योगी आदित्यनाथ सबसे कम उम्र के सदस्य रह चुके हैं। योगी ने 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से जीत हासिल की थी। योगी कमेटी ऑफ फूड, सिविल सप्लाई, डिपार्टमेंट ऑफ शुगर एंड एडिबल ऑयल, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स आदि में काम कर चुके हैं। साल 2009 में योगी ने 15 लोकसभा में जीत हासिल की और परिवहन, पर्यटक और संस्कृत के कमेटी मेम्बर बने। जिसके बाद साल 2014 में योगी ने एक बार फिर 16 लोकसभा में जीत हासिल कर सांसद बने।

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